“जब आप एक बार हार गए तो सभी चीजों की तरह सीख लें। हार उस प्रक्रिया का एक हिस्सा है, जिसमें हमें जीतने के लिए बेहतर होना है।” – मारिया शारापोवा
शेयर मार्केट में निवेश करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है। अब, इनकम टैक्स विभाग ने शेयर बाजार पर नए कर नियमों की घोषणा की है। इन नियमों के तहत, शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर टैक्स भरना जरूरी होगा।
आइए जानते हैं कि आपके शेयर ट्रेडिंग पर किस तरह का टैक्स लगेगा और आप इसे कैसे भरेंगे।
प्रमुख बिंदु
- शेयर बाजार पर लगने वाले नए कर नियम
- कैपिटल गेन और लाभांश आय पर टैक्स की दरें
- शेयर ट्रेडिंग से होने वाली आय की पहचान और वर्गीकरण
- शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स की जानकारी
- टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए जरूरी दस्तावेज
शेयर बाजार की कमाई पर किस तरह का टैक्स लगेगा?
शेयर बाजार से कमाई को दो भागों में बांटा जाता है – कैपिटल गेन और अन्य सोर्स. कैपिटल गेन शेयर खरीद-बिक्री से होता है। डिविडेंड आय को अन्य सोर्स में रखा जाता है। इन दोनों पर अलग टैक्स नियम होते हैं।
शेयर बाजार से होने वाली कमाई को कैपिटल गेन और अन्य सोर्स में बांटा जाता है
शेयर बाज़ार से कमाई को दो भागों में बांटा जाता है:
- कैपिटल गेन: शेयर खरीद-बिक्री से होने वाली कमाई को कैपिटल गेन माना जाता है।
- अन्य सोर्स: डिविडेंड आय को अन्य सोर्स श्रेणी में रखा जाता है।
शेयर खरीद-बिक्री से होने वाली कमाई को कैपिटल गेन माना जाता है
शेयर बाज़ार में शेयरों की खरीद-बिक्री से होने वाली कमाई को कैपिटल गेन कहा जाता है। इस पर अलग-अलग टैक्स नियम होते हैं।
डिविडेंड आय को अन्य सोर्स माना जाता है
शेयरों से प्राप्त डिविडेंड आय को अन्य सोर्स में रखा जाता है। इस पर भी अलग टैक्स नियम होते हैं।
शेयर बाज़ार से कमाई को कैपिटल गेन और अन्य सोर्स में बांटा जाता है। इन पर अलग-अलग टैक्स नियम होते हैं।
कितने तरह का होता है कैपिटल गेन
शेयर बाजार से कमाई को दो श्रेणियों में बांटा जाता है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन हैं। इनमें से प्रत्येक के लिए अलग टैक्स नियम होते हैं, जिन्हें जानना जरूरी है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन 1 साल से ज्यादा समय तक शेयरों की बिक्री से होता है। भारत में इसके लिए 10% टैक्स लगता है, जिसमें इंडेक्सेशन लाभ शामिल है।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन 1 साल से कम समय में शेयरों की बिक्री से होता है। इसके लिए 20% टैक्स लगता है, बिना इंडेक्सेशन लाभ के।
प्रकार | समयावधि | टैक्स दर |
---|---|---|
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन | 1 साल से अधिक | 10% (इंडेक्सेशन लाभ के साथ) |
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन | 1 साल से कम | 20% (इंडेक्सेशन लाभ के बिना) |
निवेशकों के लिए इन टैक्स नियमों को समझना जरूरी है। इससे वे अपनी कमाई को अधिकतम कर-बचत के साथ प्राप्त कर सकते हैं।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स नियम
शेयर मार्केट में लंबे समय तक निवेश करने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) पर नए नियमों के तहत, निवेशकों को कुछ फायदे मिलेंगे। ये नियम इक्विटी और म्यूचुअल फंड पर लागू होते हैं।
टैक्स छूट और 10% टैक्स
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर पहले 1 लाख रुपये तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इसके बाद, 10% की दर से टैक्स लगाया जाता है। इस तरह, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर पहले 1 लाख रुपये तक कोई टैक्स नहीं होगा और उसके बाद 10% टैक्स देना होगा।
कैपिटल गेन | टैक्स |
---|---|
1 लाख रुपये तक | कोई टैक्स नहीं |
1 लाख रुपये से अधिक | 10% टैक्स |
यह नियम इक्विटी और म्यूचुअल फंड दोनों पर लागू होता है। निवेशकों को लंबे समय के लिए इन में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स नियम
शेयर बाजार में कमाई को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है। इस पर 15% टैक्स लगता है। कोई छूट या सीमा नहीं होती।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन होता है जब शेयर या म्यूचुअल फंड 1 साल से कम समय तक रखा जाता है। इस पर 15% टैक्स लगता है। कोई छूट या सीमा नहीं होती।
टैक्स | दर |
---|---|
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन | 15% |
नए टैक्स नियम के तहत, शेयर बाजार से कमाई पर कर देना जरूरी है। सरकार का लक्ष्य टैक्स चोरी रोकना और राजस्व बढ़ाना है।
“शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर 15% की एकसमान दर से टैक्स लगेगा, जो किसी भी तरह की छूट या सीमा के बिना लगाया जाएगा।”
नए टैक्स नियम: शेयर बाजार में निवेश पर कितना टैक्स लगेगा
नए टैक्स नियमों के अनुसार, शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर विभिन्न प्रकार के टैक्स लगेंगे। शेयर बाजार की कमाई को कैपिटल गेन और अन्य सोर्स में दो भागों में बांटा गया है।
कैपिटल गेन: शेयर खरीद-बिक्री से होने वाली कमाई को कैपिटल गेन कहा जाता है। इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन में बांटा गया है। इन पर अलग-अलग टैक्स लगाए जाते हैं।
अन्य सोर्स: डिविडेंड आय को अन्य सोर्स माना जाता है। इस पर भी टैक्स लगेगा।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स नियम
- 1 लाख रुपये तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं
- 1 लाख रुपये से ऊपर की कमाई पर 10% की दर से टैक्स
- इक्विटी और म्यूचुअल फंड दोनों पर लागू
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स नियम
- 15% की फ्लैट दर से टैक्स लगेगा
इसके अलावा, डिविडेंड आय को अन्य सोर्स माना जाएगा। इस पर स्लैब रेट से टैक्स लगेगा। साथ ही, टीडीएस भी काटा जाएगा।
इन नए टैक्स नियमों से शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर कितना टैक्स लगेगा, इसकी पूरी जानकारी दी गई है। निवेशकों को अपने करदाता दायित्वों के बारे में अच्छी तरह समझ आएगी।
इंट्राडे और डिविडेंड आय पर टैक्स
शेयर मार्केट में दो मुख्य स्रोत हैं – इंट्राडे ट्रेडिंग और डिविडेंड आय। इन दोनों स्रोतों से होने वाली कमाई को “अन्य सोर्स” कहा जाता है। स्लैब रेट से टैक्स लगेगा।
अन्य सोर्स के तहत आयेगी, स्लैब रेट से टैक्स लगेगा
इंट्राडे ट्रेडिंग और डिविडेंड आय को अन्य सोर्स में शामिल किया गया है। इन पर स्लैब रेट से टैक्स लगेगा। स्लैब रेट 5 लाख, 7.5 लाख, 10 लाख, 12.5 लाख और 15 लाख रुपये के बीच है।
डिविडेंड पर टीडीएस भी काटा जाएगा
डिविडेंड आय पर टीडीएस भी काटा जाएगा। यानी कि शेयर बाजार से प्राप्त डिविडेंड से पहले ही टैक्स काट लिया जाएगा।
नए टैक्स नियमों के तहत इंट्राडे और डिविडेंड आय पर स्लैब रेट से टैक्स लगेगा। डिविडेंड पर टीडीएस भी काटा जाएगा।
टैक्स रिटर्न भरने के लिए जरूरी डॉक्युमेंट्स
शेयर मार्केट से कमाई पर टैक्स भरने के लिए कुछ दस्तावेज जरूरी होते हैं। ये दस्तावेज आपके सालभर के कारोबार और आय की जानकारी देते हैं।
फॉर्म-16, फॉर्म 26एएस, एनुअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट
फॉर्म-16 आपके वेतन का ब्रेकअप और कट किये गए टैक्स का ब्यौरा देता है। फॉर्म 26एएस में आपके द्वारा भरे गए टैक्स का पूरा ब्यौरा होता है। एनुअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट में आपके सालभर के कारोबार और निवेश का ब्यौरा होता है।
कैपिटल गेन्स स्टेटमेंट, टैक्स प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट
कैपिटल गेन्स स्टेटमेंट में आपके शेयर क्रय-विक्रय से लाभ का ब्यौरा होता है। टैक्स प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट में आपके व्यवसाय की आय और व्यय का विवरण होता है।
इन दस्तावेजों की मदद से आप अपना टैक्स रिटर्न आसानी से भर सकते हैं।
दस्तावेज | विवरण |
---|---|
फॉर्म-16 | वेतन का ब्रेकअप और कट किये गए टैक्स का ब्यौरा |
फॉर्म 26एएस | भरे गए टैक्स का सम्पूर्ण ब्यौरा |
एनुअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट | सालभर के कारोबार और निवेश का ब्यौरा |
कैपिटल गेन्स स्टेटमेंट | शेयर क्रय-विक्रय से प्राप्त लाभ का ब्यौरा |
टैक्स प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट | व्यवसाय की आय और व्यय का विवरण |
“ये दस्तावेज आपके कर दायित्वों को पूरा करने में मददगार होंगे। आप अपना टैक्स रिटर्न सही तरह से भर सकेंगे।”
ट्रेडिंग को बिजनेस इनकम दिखाने के फायदे
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग को “बिजनेस इनकम” के रूप में दिखाना फायदेमंद है। इससे आप अपने बिजनेस लॉस को अगले सालों में कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं। इससे आपकी कर योग्य आय कम होती है।
ट्रेडिंग से जुड़े एक्सपेंस को भी घटाया जा सकता है।
बिजनेस लॉस को कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं
ट्रेडिंग को बिजनेस इनकम के रूप में दिखाने से आप अपने बिजनेस लॉस को अगले 8 सालों तक कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं। इससे आपकी कर देनदारी कम होती है।
आप भविष्य के लाभों से नुकसान को समायोजित कर सकते हैं।
एक्सपेंस को घटा सकते हैं
ट्रेडिंग को बिजनेस इनकम के रूप में दिखाने से आप अपने एक्सपेंस को कम कर सकते हैं। जैसे कंप्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल बिल, डेटा प्रदाता, सॉफ्टवेयर और अन्य।
“शेयर बाजार में ट्रेडिंग को बिजनेस के रूप में दिखाकर आप कई कर-संबंधी लाभ प्राप्त कर सकते हैं।”
बिजनेस इनकम पर टैक्स कैसे लगता है?
आयकर के नए नियमों के तहत, बिजनेस इनकम पर स्लैब रेट से टैक्स लगता है। यह श्रेणी कैपिटल गेन से अलग होती है, अर्थात व्यापार से प्राप्त आय को अलग से दिखाना होता है।
बिजनेस इनकम पर यह स्लैब रेट लागू होती है:
- 0 रुपये से 3 लाख रुपये तक: 0% टैक्स
- 3 लाख रुपये से 6 लाख रुपये तक: 5% टैक्स
- 6 लाख रुपये से 9 लाख रुपये तक: 10% टैक्स
- 9 लाख रुपये से 12 लाख रुपये तक: 15% टैक्स
- 12 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक: 20% टैक्स
- 15 लाख रुपये से अधिक: 30% टैक्स
इस नई व्यवस्था में 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिलता है, जिससे 7 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इस तरह बिजनेस इनकम पर स्लैब रेट से टैक्स लगता है और कैपिटल गेन इससे अलग होता है।
निष्कर्ष
शेयर बाजार से कमाने वाले लोगों के लिए, नए टैक्स नियमों का पालन करना जरूरी है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 1 लाख रुपये तक कोई टैक्स नहीं है, लेकिन 1 लाख से ज्यादा पर 10% टैक्स होगा। शॉर्ट टर्म पर 15% की एकसमान दर से टैक्स लगेगा।
डिविडेंड और अन्य आय स्रोतों पर भी स्लैब रेट और टीडीएस देना होगा। इन नियमों का पालन करना होगा ताकि कर भरा जा सके।
सारांश में कहा जाता है कि शेयर मार्केट से कमाने वाले लोगों को नए टैक्स नियमों को जानना चाहिए। कैपिटल गेन और अन्य स्रोतों से होने वाली आय के लिए अलग-अलग टैक्स नियम हैं।
इस निष्कर्ष से पता चलता है कि शेयर बाजार से कमाने वाले लोगों को नए टैक्स नियमों को समझना चाहिए। ताकि वे सही तरीके से कर भर सकें।
FAQ
आयकर विभाग ने क्या स्पष्ट किया है?
आयकर विभाग ने बताया है कि कोई भी व्यक्ति अपने इक्विटी निवेश को कैपिटल गेन या ट्रेडिंग से होने वाली बिजनेस आय के रूप में दिखा सकता है। चुनी गई श्रेणी को सालों में भी बरकरार रखना होगा। इससे कर भुगतान और कर क्रेडिट्स का लाभ मिलता है।
शेयर बाजार से होने वाली कमाई को कैसे बांटा जाता है?
शेयर बाजार से होने वाली कमाई को कैपिटल गेन और अन्य सोर्स में बांटा जाता है। शेयर खरीद-बिक्री से होने वाली कमाई को कैपिटल गेन माना जाता है। डिविडेंड से होने वाली आय को अन्य सोर्स श्रेणी में रखा जाता है।
कैपिटल गेन के कितने प्रकार हैं?
कैपिटल गेन को लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म श्रेणियों में बांटा गया है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन 1 साल से अधिक समय तक धारित किए गए शेयरों की बिक्री से होता है। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन 1 साल से कम समय तक धारित किए गए शेयरों की बिक्री से होता है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर कितना टैक्स लगता है?
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 1 लाख रुपये तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता है। 1 लाख से अधिक कमाई पर 10% की दर से टैक्स लगता है। यह नियम इक्विटी और म्यूचुअल फंड दोनों पर लागू होता है।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर कितना टैक्स लगता है?
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर 15% की एकसमान दर से टैक्स लगता है। इस टैक्स की गणना किसी भी तरह की छूट या सीमा के बिना की जाती है।
नए टैक्स नियमों के मुताबिक शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर कितना टैक्स लगेगा?
नए टैक्स नियमों के मुताबिक, शेयर बाजार से होने वाली कमाई के दो प्रमुख घटक हैं – कैपिटल गेन और अन्य सोर्स। कैपिटल गेन को लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म श्रेणियों में बांटा गया है, जिन पर अलग-अलग टैक्स लागू होता है। लॉन्ग टर्म पर 1 लाख रुपये तक कोई टैक्स नहीं और उसके बाद 10% टैक्स, जबकि शॉर्ट टर्म पर 15% की फ्लैट दर से टैक्स लगता है। अन्य सोर्स आय जैसे डिविडेंड पर स्लैब रेट से टैक्स और टीडीएस भी लगेगा।
इंट्राडे और डिविडेंड आय पर टैक्स कैसे लगेगा?
इंट्राडे से होने वाली कमाई और डिविडेंड आय को अन्य सोर्स की श्रेणी में रखा जाता है। अन्य सोर्स आय पर स्लैब रेट से टैक्स लगता है। साथ ही डिविडेंड पर टीडीएस भी काटा जाएगा।
टैक्स रिटर्न भरने के लिए कौन से दस्तावेज चाहिए होते हैं?
शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर टैक्स भरने के लिए फॉर्म-16, फॉर्म 26एएस, एनुअल इनफॉर्मेशन स्टेटमेंट, कैपिटल गेन्स स्टेटमेंट और टैक्स प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट जैसे जरूरी दस्तावेज चाहिए होते हैं।
ट्रेडिंग को बिजनेस इनकम दिखाने के क्या फायदे हैं?
ट्रेडिंग को बिजनेस इनकम के रूप में दिखाने से कई फायदे हैं। इससे बिजनेस लॉस को अगले सालों में कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है और कर योग्य आय को कम किया जा सकता है। साथ ही ट्रेडिंग से जुड़े व्यय को भी कम किया जा सकता है।
बिजनेस इनकम पर टैक्स कैसे लगता है?
बिजनेस इनकम पर आयकर की स्लैब रेट लागू होती है। इस श्रेणी में कैपिटल गेन शामिल नहीं होता है। अर्थात कैपिटल गेन से होने वाली कमाई को अलग से दिखाना होता है।
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